विमर्श … खुद के अंदर की और अपने आसपास के साथ -२, दूर दराज की चीजों पर भी , गहरी ,वस्तुनिस्ठ और दीर्घकालिक सत्यों को जानने ,पहचानने की कोशिश करना।
गाँव-गिरांव और कस्बों -नगरों के संवैधानिक और अधुनिक विमर्श की परिधि में लाना और विकास के माडल के असुंतलन और ताकतवर के पक्ष में लगातार होते झुकाव को समझकर उसे बृहद सामाजिक सरोकारों से जोड़ने के लिए जनकल्याण में लगी समस्त शक्तियों को एक साथ लाने की भी कसरत करते रहना।
और असहमति के साथ -२ संबंधों का निर्वाह करना विमर्श की अनिवार्यता है।
Saturday, December 25, 2010
Atalji
Janta k neta they atalji,wah pratikatmak chetna le aaye,aam janta k liye jitna wah kar sakte the,gathbandhan sarkar ki majburion se na kar sakey.
Fir v o sada apni ojaswi wani,aur sachhai ki rajneeti k liye yad rahenge.
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